गुरुवार, 5 जुलाई 2018

नीलम संजीव रेड्डी जी के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी - Important Information About Neelam Sanjeev Reddy Ji

हमारे भारत के आठवें तथा पूर्व राष्‍ट्रपति श्री नीलम संंजीव रेडडी (Neelam Sanjeev Reddy Ji) के एक अच्‍छे नेेेेता अर्थात राजनीतिज्ञ होने के साथ एक स्‍वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्‍होने भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम में काफी योगदान दिया आइये जानते है उनके बारे में कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य -

नीलम संजीव रेड्डी जी के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी - Important Information About Neelam Sanjeev Reddy Ji

नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjeev Reddy Ji) का जन्म 19 मई, वर्ष 1913 को आंध्र प्रदेश में अनंतपुर ज़िले के इल्लुर ग्राम में हुआ था नीलम संजीव रेड्डी कवि, अनुभवी राजनेता एवं कुशल प्रशासक भी थे इनके पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता टी. प्रकाशम के साथी थे।
नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjeev Reddy Ji) की प्राथमिक शिक्षा 'थियोसोफिकल हाई स्कूल' अड़यार, तथा आगे की शिक्षा आर्ट्स कॉलेज, अनंतपुर में हुयी। नीलम संजीव रेड्डी मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही स्‍वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े । इन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया था। तथ्‍ाा इस दौरान इन्हें कई बार जेल की सज़ा भी काटनी पड़ी।
नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjeev Reddy Ji) का विवाह 8 जून, 1935 को नागा रत्नम्मा के साथ हुआ । इनके एक पुत्र सुधीर रेड्डी अनंतपुर में सर्जन एवं तीन पुत्रियाँ थी । इनके पुत्र सुधीर रेड्डी आज़ादी की लड़ाई में कई बार जेल गए ।
राज्य की राजनीति में भी एक कुशल प्रशासक के तौर पर नीलम संजीव रेड्डी का प्रभाव बहुत थ्‍ाा जब कुमारास्वामी राजा मुख्यमंत्री थे। तब इन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया, ताकि आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाग ले सकें। इस चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी प्रोफेसर एन.जी. रंगा को हराकर अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसी वर्ष यह' अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति' और 'केन्द्रीय संसदीय मंडल' के भी निर्वाचित सदस्य बन गए।
इन्‍हे टी. प्रकाशम की कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री बनाया गया जबकि 1955 से पूर्व तक यह 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुने गए। वर्ष 1956 में जब राज्यों के पुनर्गठन का कार्य किया गया तब नीलम संजीव रेड्डी आंध्र प्रदेश के 'प्रथम मुख्यमंत्री' बने। तब इनकी उम्र 43 वर्ष थी और यह भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे।
26 मार्च 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर चुन लिया गया। लेकिन 13 जुलाई 1977 को उन्होंने यह पद छोड़ दिया रेड्डी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तभी वह नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। और नीलम संजीव रेड्डी सर्वसम्मति से निर्विरोध आठवें राष्ट्रपति चुन लिए गए। 
नीलम संजीव रेड्डी ने कई देशों की यात्राएँ की, जिनमें पश्चिम जर्मनी, आस्ट्रेलिया, यू. के., फ्रांस हंगरी, पोलैण्ड, कनाडा, पेरू, नेपाल, यूगांडा, जाम्बिया, केन्या और अमेरिका के नाम उल्लेखनीय हैं।
नीलम संजीव रेड्डी को वर्ष 1958 में सम्मानार्थ डॉक्टरेट की उपाधि वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, त्रिमूर्ति द्वारा प्रदान की गई।
25 जुलाई, वर्ष 1982 को अपना कार्यकाल पूरा करने के पश्चात नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति पद के दायित्व से मुक्त हो गए। और 14 वर्ष बाद 1 जून वर्ष 1996 को इनका निधन हो गया।

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