हर वर्ष 26 जनवरी को भारत के वीर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) दिये जाते हैं, 1957 में भारतीय बाल कल्याण परिषद ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) की शुरूआत की थी तो आईये जानते हैं राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) के बारे मेें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार - Rashtriya Veerta Puraskar - National Bravery Award in Hindi
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) के पीछे एक सच्ची कहानी है, वर्ष 1957 में 14 वर्ष के बालक हरीश मेहरा (Harish Mehra) ने रामलीला मैदान में चल रही रामलीला के दौरान अचानक लगी आग से लोगों की जान बचाई थी, इस रामलीला काे देखने पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि भी देेखने आये थे इस आग को बुझाने में हरीश मेहरा (Harish Mehra) के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे, अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था, नेहरु जी बालक हरीश मेहरा (Harish Mehra) की वीरता और साहस से अत्यधिक प्रभावित हुए और राष्ट्रीय स्तर पर बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया
इसी क्रम मेें पहला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) वर्ष 1957 में 14 वर्ष के बालक हरीश मेहरा (Harish Mehra) को दिया गया
- भारत पुरस्कार (Bharat Award)
- गीता चोपड़ा पुरस्कार (Geeta Chopra Award)
- संजय चोपड़ा पुरस्कार (Sanjay Chopra Award)
- बापू गैधानी पुरस्कार (Bapu Gaidhani Award)
- सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (Normal National Bravery Award)
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) 6 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चाेें को प्रदान किये जाते हैं राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National Bravery Award) के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं
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